आप बरबस याद आयेंगें!
जिंदगी
कोई किताब
या
डायरी तो नहीं
जिसमें से
अतीत के पन्ने
जब चाहें
फाड़ कर फेंक दें
समय के साथ-साथ
जिंदगी के पन्नों पर
परत-दर-परत
गर्द तो
जम जाती है
पर
जब भी
कोई बात
इस गर्द को
कुरेद जाती है
तो
अच्छे-बुरे पलों की
याद तो
दिला ही जाती है
और
दिल को तड़पा जाती है
किसी को
ग़र आता हो
जिंदगी की किताब से
अतीत के
पन्नों को फाड़ना
तो हमें भी बताये
वर्ना
यादों की किताब को
चिता के साथ ही
जलायेंगें
तब तक तो
आप
हमें याद आयेंगें !
बरबस ही याद आयेंगें !!
1 Comments:
अतीत के
पन्नों को फाड़ना मुमकिन नहीं दोस्त. वो तो बरकरार रहेंगे--खुशी देने वाले भी और गम देने वाले भी.
बढ़िया रचा है.
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