उनकी याद मुझको भिगोती रही !
रात भर सपनों की बरसात होती रही,
उनसे बार-बार मुलाकात होती रही,
अन्तस तक मुझे सरोबार करके,
उनकी याद मुझको भिगोती रही ।
ख्याल उमड़-घुमड़ कर आते रहे,
ज़हन में तस्वीर तेरी चमकाते रहे,
अधखुली आँखों से जगी-सोई सी मैं,
हर लम्हा सपनो में पिरोती रही ।
मौसम दिल का सुहाना होता गया,
आबाद मेरा वीराना होता गया,
वो आते रहे और जाते रहे,
यूँ ही उनकी इनायत होती रही ।
सूखे पत्तों की डाली सा जीवन मेरा,
ग़म की आँधी से था लरज़ता हुआ,
प्यार की बौछार लाई हरियाली नई,
मुझको नित नई सौगात मिलती रही ।
बरसात इतनी हुई, ज़लज़ला आ गया,
प्यार में बहने का सिलसिला हो गया,
थाम हाथ तेरा डूब जायेंगें हम,
प्यार की यूँ ही इबादत होती रही ।
2 Comments:
बढ़िया.
बहुत सुंदर
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