"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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हसरतों की नुमायश हो ही गई !
हसरतों की नुमायश हो ही गई,तुमसे मिलने की ख्वाहिश हो ही गई ।जो न भूले से कभी तकते थे,दिल में उनके भी खलिश हो ही गई ।रोज़ कहते थे दिल की सुन लो कभी,आज उनकी फरमाईश हो ही गई ।दिन-ब-दिन फासले भी घटते गये,दूरियों की पैमाईश हो ही गई ।लाख कहते रहो हमारे नहीं,तेरे दिल की सिफारिश हो ही गई ।
3 Comments:
बढ़िया है.
दिन-ब-दिन फासले भी घटते गये,
दूरियों की पैमाईश हो ही गई ।
sunder tariike se duuriya kam kii hai. bahut achhe.
हसरतों की नुमायश हो ही गई,
तुमसे मिलने की ख्वाहिश हो ही गई ।
mere khyaal me yahaa "tumse" ki jagah "mujhse " honaa chaahiye tha . ye sirf ttumhaare liye publish karne ke liye nahii
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