गज़ल !
तुम्हे भुलाने की कोशिश में खुद को भुला बैठे,
खुशियाँ पाने की चाहत में खुशियाँ गवाँ बैठे ।
तुम तो आसमान में चाँद-सितारों में बसी थीं,
हम यूँ ही सितारों की ख्वाहिश बना बैठे ।
सच तो यही है कि दिल वो रखते ही नहीं थे,
न जाने क्या सोच के अपना दिल लुटा बैठे ।
वैसे तो कमी न थी दुनिया भर में ग़मों की,
तो फिर तुम्हारे और ग़म हम क्यों जुटा बैठे ।
आँसुओं से पहले ही सरोबार था दिल का आशियाँ,
फिर और आँसुओं की सौगात क्यों बुला बैठे ।
3 Comments:
तुम तो आसमान में चाँद-सितारों में बसी थीं,
हम यूँ ही सितारों की ख्वाहिश बना बैठे ।
very very nice one
बढ़िया है/.
महकजी एवं उड़नजी,
गज़ल पसन्द आने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home