"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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गज़ल
तुम क्या गये मेरी कविता ले गये, मेरी प्रेरणा, मेरी विधा ले गये । अस्त-व्यस्त से सारे ख्याल हो गये, भाव सभी अपने साथ ले गये । कद्रदानों की यूँ तो कोई कमी न थी, बस तुम्ही तो हमें धता दे गये । दोस्त जिन्हे कहा दुनिया के सामने, वक्त पर वही तो दगा दे गये । अब ना माँगेंगें कभी किसी से कुछ, अब तक के ग़म ही मेरी जाँ ले गये ।
4 Comments:
बहुत अच्छी गजल है।बधाई।
धन्यवाद परमजीत जी !
अस्त-व्यस्त से सारे ख्याल हो गये,
भाव सभी अपने साथ ले गये । bahut khub
धन्यवाद महक जी ।
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