तुम कुछ कहो न कहो!
तुम कुछ कहो न कहो,
बस मेरे मन में रहो,
तो मन की बात खुद ही हम समझ जायेंगें ।
तुम हमें मिलो न मिलो,
संग मेरे चलो न चलो,
किसी रस्ते पे कभी तो तुमसे मिल जायेंगें ।
ये दिल तो पागल है,
तुम्ही से घायल है,
जहाँ की सारी खुशियाँ छोड़ तेरा ही कायल है,
तुम मेरी सुनो न सुनो,
तुम मेरी बनो न बनो,
ज़ुबां पे नाम तेरा ही तो हम लायेंगें ।
तुम कुछ कहो न कहो,
बस मेरे मन में रहो,
तो मन की बात खुद ही हम समझ जायेंगें ।
बात अधूरी है,
दिलों में दूरी है,
समझ नहीं आता है कि क्या मज़बूरी है,
रंग में ढ़लो न ढ़लो,
हमसे खुलो न खुलो,
मुहँ के भाव लेकिन सब बता जायेंगें ।
तुम कुछ कहो न कहो,
बस मेरे मन में रहो,
तो मन की बात खुद ही हम समझ जायेंगें ।
2 Comments:
बात अधूरी है,
दिलों में दूरी है,
समझ नहीं आता है कि क्या मज़बूरी है,
रंग में ढ़लो न ढ़लो,
हमसे खुलो न खुलो,
मुहँ के भाव लेकिन सब बता जायेंगें ।
awesome,very very nice.
महक जी,
आपको मेरी रचना बहुत पसन्द आई, इसके लिये आभारी हूँ । यदि ऐसे ही प्रोत्साहन मिलता रहा तो आगे भी ऐसे ही कोशिश रहेगी ।
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