गज़ल!
तुम ग़र कहोगे तो तुम्हे प्यार नहीं करेंगें,
पर ये तो बताओ तुम बिन कैसे जियेंगें ।
तुम्हारे मन में कुछ नहीं तो कुछ न सही,
हम तो फिर भी तुम्हे मन की कहेंगें ।
साथ चलना न था तो राह दिखाई थी क्यों,
ये भी न सोचा तुम बिन अकेले ही भटकेगें ।
माना कि अपनी खुशी में खुश रहना था तुम्हे,
हम भी तेरे ग़म में ही खुश रह लेंगें ।
कोई बात तो हमारी रख ली होती हमारी खातिर,
चलो, खुद से ही हम शिकवे-गिले कर लेंगें ।
2 Comments:
sundar gajal!
धन्यवाद बाली जी !
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home