गज़ल!
मेरे दिल पे दस्तक दे कर चुपचाप क्यों बैठे हो,
कुछ बोलो, कुछ तो कह दो, किस सोच में डूबे हो ।
फिर आयें या न आयें खुशियों के ये पल हैं,
हाथ बढा कर ले लो, क्यों खुशियों से रूठे हो ।
रहना है दुनिया में ही, चाहे दुख हो चाहे सुख,
इक छोटी सी ठोकर से, क्यों दुनिया से टूटे हो ।
दुख में भी हँसना सीखो, कितना ही भारी हो,
कुछ मीठे बोल भी बोलो, चाहे वो झूठे हों ।
देखो जो खोल के आँखें, सब और बसा दुख है,
अपना ही दुख क्यों सोचो, क्या सबसे अनोखे हो ।
3 Comments:
bahut khub dukh ho ya sukh jeena to hai
हौसला-अफजाई के लिये शुक्रियाल,महक जी ।
रहना है दुनिया में ही, चाहे दुख हो चाहे सुख,
इक छोटी सी ठोकर से, क्यों दुनिया से टूटे हो ।
इस बात में तो दम है...
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