गज़ल!
ताउम्र नहीं भूल पाऊँगा तुम्हे,
तेरी बेवफाई याद आती रहेगी हमें ।
दो अश्क बहाने से फायदा क्या है,
ग़म की मार तो खाती रहेगी हमें ।
बार-बार इल्तज़ा की, बार-बार ठुकरा दिया,
यही बात तो सताती रहेगी हमें ।
दिल का आईना चटक के चूर-चूर हुआ,
तस्वीर हर टुकड़े में नज़र आती रहेगी हमें ।
इक कली ही तो माँगी थी गुलशन से हमने,
जाने क्यों तकदीर काँटे चुभाती रहेगी हमें ।
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