गज़ल!
तुझसे प्यार करने का, मैं गुनहगार हो गया,
मैं तो रुसवा यूँ ही, सरे-बाजार हो गया ।
सभी को भूल बैठा मैं, तुम्हे ही याद करता मैं,
मेरा जीना तो तुझ बिन दुश्वार हो गया ।
तुम्ही से बात मैं करूँ, तुम्हारे साथ मैं रहूँ,
तेरी यादों का मेरा संसार हो गया ।
कभी रास्ता दिखे, तो कभी राह न मिले,
जाने ऐसा क्यों मेरा व्यवहार हो गया ।
कहीं फूल खिल पड़े, कहीं उमंग उमड़ पड़े,
तेरे आने से गुलशन गुलज़ार हो गया ।
1 Comments:
kahi phul khil pade,umang umad pade,very nice words.
http://mehhekk.wordpress.com/
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