गज़ल!
http://www.shvoong.com/medicine-and-health/1758080-wonders-lemon-grass/
ज़ख्म खाने में तो मज़ा ही नहीं,
तीर जब तक न पार हो जाये ।
दो घड़ी हँस के बात कर ले तो,
क्या कोई दिल का यार हो जाये ।
हम तो एहसान याद रखते हैं,
वर्ना देना उधार हो जाये ।
सह के ग़म तुम हँसाओ दुनिया को,
ख़िज़ा सबकी बहार हो जाये ।
शाम तब तक उदास रहती है,
मिलना न एक बार हो जाये ।
दोस्त माना है तो न छोड़ेंगें,
चाहे दुश्मन हजार हो जायें ।
3 Comments:
ख़िज़ा क्या होता है?
dost ho tho aise,bahut khub
http://mehhekk.wordpress.com/
सही है, और सुनायें.
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