"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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गज़ल!
आँख खोलो तो नज़र आओ नहीं,
बंद आँखों से दूर जाओ नहीं ।
कोई शिद्दत से करे प्यार तुम्हे,
इक दफा हम को आजमाओ सही ।
कौन कहता है प्यार धोखा है,
दिल से अपना हमें बनाओ कभी ।
सोच तेरी भी सोच मेरी हो,
हाथ से हाथ तो मिलाओ कभी ।
तुम न चाहो तुम्हारी मर्जी है,
हमको नज़रों से तो न गिराओ कभी ।
3 Comments:
मै एसा नही समझती मेरी नजर में प्यार सिर्फ़ धोखा ही है कुछ और नही॥
Anil ji aaj aapki blog tak ka rasta mila aur aapki gazal padhne ko mili
aapki is gazal ne itna man mohit kiya ki aapko reply karne ka socha
aapko agar todha sa waqt mile aur aap aana chahe to zarur dekhe
www.shayarfamily.com
aapka aana parivaar ke liye garima ki baat hoga
tum na chaho hume tumhari marzi,apni nazron se na girao kabhi,bahut khub.
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