"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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प्रतीक्षण!
अब तोप्रतीक्षण ही रहता हैतुम्हारा प्रती क्षण औरकटते नहीं कटताकोई भी क्षणअब तोहर पलहर क्षणये हीकहता है मनकितुम्हारे ही संगकटे जीवन काहर क्षणतुम बिन अबकहीं भी तो नहींलगता है मनसूना लगे आँगनऔररीता लगे जीवनअब तोहरदमतेरा ही अक्स दिखायेयादों का दर्पणकभी तोप्रियेप्रत्यक्ष आ करमेरी बन!
1 Comments:
har lamhe ki baat kahi hai,khub sundar
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