ग़जल!
कोई उम्र नहीं होती है प्यार करने की,
कौन जाने, कौन सी घड़ी हो मरने की ।
रिश्तों की ख़ातिर कोई तो मर मिटे उन पर,
और कोई करे ना परवाह किसी के मरने की ।
ऐसा कहाँ लिखा है कि प्यार एक ही करना,
हद होती नहीं है कोई तो प्यार करने की ।
मस्ती भरी है दुनिया, मस्ती भरा हर पल,
बस आँख होनी चाहिये पहचान करने की ।
दो लम्हे ग़र बाँटना चाहे कोई उनसे,
ज़रूरत क्या पड़ी दुनिया को ऐतराज़ करने की
2 Comments:
vakai main bahut pyari kavita hain ..और कोई करे ना परवाह किसी के मरने की
अच्छी रचना.
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