"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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गज़ल!
कभी तो याद कर लिया करो,हमसे दो बात कर लिया करो ।ज़ुदा नहीं हैं हम ज़माने से,कभी तो मुलाकात कर लिया करो ।ख़ुद में घुट के रहना ठीक नहीं,इज़हार अपने ज़जबात कर लिया करो ।ज़िंदगी के सूखे रेगिस्तान में,प्यार की बरसात कर लिया करो ।ख्वाबों में रूबरू हो सकुँ तुमसे,हर दिन को रात कर लिया करो ।
2 Comments:
बहुत सुंदर ग़ज़ल आपने कही है , विल्कुल आम -फहम है यह असर छोड़ती हुई , मतले का यह शेर वेहद उम्दा है भाई -
कभी तो याद कर लिया करो,
हमसे दो बात कर लिया करो ।
बहुत सही सर. अच्छा लगा. लेकिन सर यही तो मैं आपसे कहना चाहता हूँ.
कभी तो हमारे ब्लॉग पर भी visit कर लिया करो,
कभी तो हमारी पोस्ट पर भी टिपण्णी कर दिया करो.
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