तेरी याद जगाती है!
जब भी नींद मेरे पास आती है
तेरी याद चुपके से
पहलू में आकर बैठ जाती है
और मुझे रह रह कर जगा जाती है
और कहती जाती है
उठो, मुझसे दो बातें करो
वो भी तो रात को
खुद को अकेला पाती है
मैं कहता हूँ
नींद न खराब करो मेरी
सपनों में उनसे मिलना है
जिनमें वो कम से कम
हमसे दो बातें तो कर जाती है
तो याद तेरी
रूठ जाने की धमकी दे जाती है
और मुझे डरा जाती है
मैं डर कर तेरी यादों से
बातें करने में लग जाता हूँ
सोचता हूँ
सपने कब तक साथ देंगें मेरा
ये तो अंधेरों के साथी हैं
आँख खुलने पर
उनका मिथ्या जाल टूट जाता है
बस तेरी याद ही तो
मेरा साथ निभाती है
दिन हो या रात हो, कोई भी बात हो
चुपके से आकर
ये मेरे पहलू में बैठ जाती है
बस यही तो है
जो मुझे हंसाती है, रूलाती है
और साये की तरह
हर जगह साथ आती है
साथ आती है, साथ आती है, साथ आती है!
1 Comments:
सही है.
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