खत्त्म बात हुई!
दो पल की मुलाकात में खत्म बात हो गई,
दिन चढ़ने से पहले ही घनी रात हो गई ।
उम्मीद तो न थी वो मुँह मोड़ कर चल दें गें,
जिसकी उम्मीद न थी हमें, वही बात हो गई ।
गुल खिलेगा तो ख़ारों का संग तो लाज्मी है,
अब तो ख़ारों की मानिंद अपनी हयात हो गई ।
बादलों की भीड़ में कभी-कभी चमक उठें बिजलियाँ,
बीता सपना अब मौसम की बरसात हो गई ।
दो अश्क टपक जाते हैं आँखों से रह-रह कर,
होठों की हंसी तो अब गई बात हो गई ।
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