गज़ल!
भूले से कहीं पर जब मुझको तस्वीर तुम्हारी दिख जाये,
मैं सब कुछ भूल के जीवन में बस गीत तुम्हारे गाता हूँ ।
इस भीड़ भरी दुनिया में जब तन्हाई डसने लगती है,
मैं तब-तब अपने ख्यालों में तुमको ही पास बुलाता हूँ ।
जब रात के अँधियारों में चंदा और तारे जगते हैं,
मैं भी संग-संग उनके तेरी यादों के दिए जलाता हूँ ।
सब से पहले बस नाम तेरा मेरे होठों पर आता है,
मैं जब-जब कविता लिखने को कागज़ औ' कलम उठाता हूँ ।
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home