जीवन बनवास हुआ जाता है!
आज फिर मन मेरा उदास हुआ जाता है !
सब कुछ ठहर गया, दिल के दायरों में,
मन मेरा तरस गया, बरखा-बहारों में,
बदरंग हर इक उल्लास हुआ जाता है!
चुभन काँटों सी, मिलती है फूलों से,
सारी राहें, पटी मिलती हैं धूलों से,
तुम बिन जीवन बनवास हुआ जाता है!
पंछी बन के पिया, उड़ना चाहूँ मैं,
बंधन तोड़ सभी, मिलना चाहूँ मैं,
तेरे लिये, मन मेरा बिंदास हुआ जाता है!
http://anilchadah.blogspot.com
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1 Comments:
सही है मित्र आज कल जीवन बंवास ही समान है।
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