गज़ल!
मुझसे ज़रूर उनका कोई वास्ता तो था,
वरना वो देख कर चुराते नज़र नहीँ ।
कोई हादसा इस उम्र में होना ज़रूर था,
वरना वो फेर कर मिलाते नज़र नहीँ ।
लगता है रास्तों को भी हो चुकी ख़बर,
वरना कभी वो राह में आते नजर नहीं ।
जो लूटनी न होती मेरी जाँ औ' हयात,
नज़रों से दिल वो अपना करते नज़र नहीं ।
था सोचता कि दुनिया में नहीं हैं बेईमान,
तुमसे हसीन चोर तो आते नज़र नहीं ।
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