दीवानों का क्या है?
इन बहारों का क्या है? फिज़ाओं का क्या है?
लूटने वाली तेरी अदाओं का क्या है?
हमें भूल कर आज बैठे सभी हैं,
बता दो, सिला इन वफाओं का क्या है?
जलती-बुझती शमाएँ, टिमटिमाते सितारे,
नज़ारों की तुम हो, नज़ारे तुम्हारे,
गुज़र कर रहे जो अंधेरों के दम पर,
सोचो कभी, उन बेचारों का क्या है?
बेगानों की खातिर, बने हो बेगाने,
हम तुम्हारे दीवाने, तुम किसी के दीवाने,
दीवानों की हालत में फिरते हो खुद भी,
और कहते हो हमको, दीवानों का क्या है?
http://anilchadah.blogspot.com
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