गज़ल!
बड़ी भूल की, उन्हे अपना समझ लिया,
खिलते चमन से क्यों कांटों को चुन लिया ।
आये थे तेरे दर पे, दो पल दम तो लें,
तेरे ग़म को देख, दम मेरा निकल गया ।
सवाल पूछूँ मैं, क्यों सवाल करती हो,
तेरा सवाल ही तो ज़वाब बन गया ।
ठिठके ज़रा से हम थे, इस मोड़ पर कभी,
सारा सफर यहीं पर कैसे गुज़र गया ।
सरे-आम आशिकों को बदनाम कर दिया,
इक बेवफा का दामन मैंने पकड़ लिया ।
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