"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
All the content of this blog is Copyright of Dr.Anil Chadah and any copying, reproduction,publishing etc. without
the specific permission of Dr.Anil Chadah would be deemed to be violation of Copyright Act.
समझ न पाया!
सौ-सौ मन हुएएक मन केमनके की माला सा गुँथबना गलहार!मनोवेगव्यस्त आँचल सेउड़े-उड़े जाते हैंआ समेट इन्हेमेरा जीवन सँवार!निरथ्रक भटकता रहाजीवन कीसुनसान गलियों मेंकोई अर्थ दे दो इसेलगाओ इक मीठी पुकार!यूँ ही करता रहातुमसे शिकायतसमझ न पायाकि छुईमुईपन तुम्हाराहै नारी-सुलभ श्रंगार!
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home