तेरा दर्द!
जितना दर्द दिया तूने है, उतने दर्द भरे मेरे गीत,
कैसा रिश्ता तुमने दिया है, बने हो मेरे दर्द के मीत!
ज़ख्म हो छोटा या हो बड़ा, दर्द तो हमको होगा ही,
फिर भी दुनिया में है क्यों, ज़ख्मों को कुरेदने की रीत!
लोगों को आता मज़ा क्या, दिल से किसी के खेल कर,
और मज़े की बात है इसको नाम भी दे देते हैं प्रीत!
ये तो बात है किस्मत की, कोई रोता कोई हंसता है,
कहीं तो बजती शहनाईयाँ , और कहीं मातम के गीत!
दो लम्हों की मुलाकात में, कुछ दर्द तो तुम भी ले ही गये,
इस दर्द के रिश्ते में बोलो कैसी हार और कैसी जीत!
1 Comments:
बहुत भावपूर्ण रचना है । दुनियावी रंग-ढंग को दर्शाती आप की रचना बहुत बेहतरीन बन पड़ी है ।बधाई।
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