दोस्ती !
अब ग़म से दोस्ती हो ही गई,
अब ग़म से प्यार ही करना है!
अब ग़म ही मेरा दीदावर,
अब ग़म ही मेरा हमसफर,
अब ग़म से पानी हैं खुशियाँ,
अब ग़म से पाना है सब्र,
अब ग़म से क्यों कर गुरेज़ करूँ,
अब ग़म से प्यार ही करना है!
अब ग़म ही तेरा तोहफा है,
अब ग़म के संग ही सोना है,
अब ग़म ही मेरा बिछौना है,
अब ग़म के संग ही हँसना है,
अब ग़म के संग ही रोना है,
अब ग़म से प्यार ही करना है!
अब ग़म का तेरे शुक्रिया,
अब ग़म ने तुझको दे दिया,
अब ग़म में मैं हूँ खो गया,
अब ग़म में तेरा हो गया,
अब ग़म ही खुशियाँ हो गया,
अब ग़म से प्यार ही करना है!
http://anilchadah.blogspot.com
Tweet







0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home