"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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अदा!
आप में जो दिल चुराने कि अदा है,उसी पर तो ज़माना फिदा है!सामान कर गये वो ही मेरी मौत का,ज़िंदगी को जिसके नाम लिखा है!यही तो मिला अपनी दुआओं का सिला,बहारें उनके नाम, अपने नाम खिज़ा है!चुनींदा-चुनींदा ज़ख्म दे रहें हैं वो,इसीलिये तो वो ज़माने से ज़ुदा हैं!हमारी बात शायद कभी समझ पायें वो,तभी तो हमने इस गज़ल को कहा है !
3 Comments:
यह गज़ल ही इतना बढ़िया है की हमने पढ़ते हुए
मन ही मन काफी सराहा है…।
हमारी बात शायद कभी समझ पायें वो,
तभी तो हमने इस गज़ल को कहा है !
--बढ़िया है जनाब. शायद समझ ही जायें.
अच्छा लिखा है,
काफ़ी असरदार है।
उम्मीद है जिन्हे ध्यान मे रख कर लिखी
गई होगी वो समझ ना भी पायें
कम से कम इशारा तो समझ ही जायेंगे।
धन्यवाद...
अंकित...
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