"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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चाहे रहो चुपचाप!
तुम रहो चाहे चुपचापहम समझ जायेंगें आपकि तेरा दिल सब बोलेकहे पर हौले सेजीवन की काली रातअब बनी सुबह की भांतदिन कट जायेंगें आपजो रहो हमारे साथकि मेरा दिल यही बोलेकहे पर हौले सेग़र करना चाहो प्यारनहीं करती क्यों इकरारक्यों लगता है दुश्वारबस हाँ करना इकबारनयन सब कुछ बोलेंकहें पर हौले से
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