अदा वाह है!
किसी की नींद उड़ा कर कहते हो मेरा कसूर क्या है,
आपकी दिल चुराने की अदा भी बहुत वाह है।
आपको अच्छा न लगता हो बेशक हमारे साथ चलना,
हमारा दिल रखने को कुछ दूर साथ देने में हर्ज क्या है।
अपनों की खातिर जो हो गये हों अपनों में ही बेगाने,
उनसे कोई रिश्ता रखने में डरने की ज़रूरत क्या है।
सुनते हैं दुआ करने पर पत्थर भी पिघल जाते हैं,
आपका दिल बता दो हमें, बना किस चीज़ का है।
और आसमान से शोले बरसते हों या बरसे फुहार,
धरा को लेकिन खुद पर ये बोझ लगते कहाँ हैं।
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