मुलाकात का पल!
ग़र तुमसे
मुलाकात का एक पल
इक युग हो जाता
तो मेरा प्रेम
अमर हो जाता!
सोचता हूँ
मेरे पास ही तो थी
तुम अभी-अभी
ग़र तुम्हारे साये को
छू पाता
तो तुम्हे
अपनी आत्मा में
आत्मसात कर पाता!
जिंदगी में
मोड़ तो आयेंगें टेढ़े-मेढ़े
रास्ते जुदा भी होंगें
अक्सर तेरे-मेरे
मैं बेफिक्र हो
जीवन का संघर्ष कर पाता
ग़र जुदा रस्तों को
किसी मोड़ पर मिला पाता!
1 Comments:
बढ़िया है.
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