गज़ल!
जहाँ से रूखसती के वक्त जो तेरा प्यार याद आये,
कसम तेरी, मुझे दोनों जहाँ इक साथ मिल जायें ।
तुम्हारी जुस्तजू में काट लें गें जिंदगी सारी,
नज़र जो प्यार की तेरी हमें इक बार मिल जाये ।
उन्हे पाया भी न था और हमने खो दिया उनको,
कोई तदबीर करो ऐसी वो हमको फिर से मिल जायें ।
जो दर्द हमने माँगा था ख़ुशी से दे दिया तुमने,
जरा सी और नेमत हो तो हमको मौत मिल जाये
समझ न पाये हैं हम जिंदगी के मायने अब तक,
अगर कोई बता पाये तो मंजिल हमको मिल जाये ।
2 Comments:
बढिया गजल है जिन्दगी को तलाशती..
समझ न पाये हैं हम जिंदगी के मायने अब तक,
अगर कोई बता पाये तो मंजिल हमको मिल जाये ।
आप न समझ पाये मायने जिंदगी के और हम ब्लाग्री के
ज्ञान भइया और समीर लाल जी कुछ समझायें तो चैन आयें.
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