ग़जल!
कोई दर्द दे गया तो कोई प्यार दे गया,
बस यादों का मुझको उपहार दे गया ।
कभी दिल संभल गया, कोई तोड़ दिल गया,
हर बार दिल का लेकिन ऐतबार ले गया ।
कभी बात हो गई तो कभी मौन रह गये,
हर बार चैन कोई दिलदार ले गया ।
कभी पूछते थे हमसे खुशियों का जो पता,
वो राहों में मेरी क्यों ख़ार दे गया ।
हर बार ज़िंदगी से ये पूछना पड़ा,
क्यों हादसों का मुझको संसार दे दिया ।
1 Comments:
आप की हरेक गजल बहुत बढिया होती है...यह गजल भी बहुत बढिया है।बधाई\
कोई दर्द दे गया तो कोई प्यार दे गया,
बस यादों का मुझको उपहार दे गया ।
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home