गज़ल!
करें क्यों याद उनको हम, नहीं जो याद हैं करते,
करें आबाद दिल में क्यों , जो बस बर्बाद हैं करते ।
नहीं मिलती हैं राहें भी, जगे ग़र चाह न दिल में,
नहीं सुनते जो इस दिल की, तो क्यों फरियाद हैं करते ।
भगाना दूर हो ग़म को तो, खुशियाँ बाँटो बस जग में,
मायूस हो सबके जीवन को, नहीं नाशाद हैं करते ।
दिलों में खोट रखके तो, निभा सकते नहीं रिश्ता,
जो रिश्ता ऐसा रखना हो, तो क्यों आगाज़ हैं करते ।
चलेंगें साथ तो खोयेंगें कुछ दोनों ही जीवन में,
जो पाना हो तो खोने का नहीं हिसाब हैं करते ।
1 Comments:
दिलों में खोट रखके तो, निभा सकते नहीं रिश्ता,
जो रिश्ता ऐसा रखना हो, तो क्यों आगाज़ हैं करते badhiya.n
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