गज़ल!
जैसे जैसे उनसे मुलाकात का वक्त करीब आता गया,
दिल पर इक नशा सा छाता गया ।
जो ताने-बाने बुने थे रात भर जाग कर मैंने,
उन सारी बातों को जाने क्यों भुलाता गया ।
ज्यों-ज्यों तुम्हे पाने की शिद्दत बढ़ती गई,
दिल-औ'-दिमाग मेरा साथ छोड़ता गया ।
पल दो पल जो भी गुजारे तुम्हारे साथ,
इक-इक याद का लम्हा दिल पर छाता गया ।
अब तो कदम भी साथ देते नहीं मेरा,
हरेक रास्ता तेरा पता बताता गया ।
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