गज़ल!
हैरान हूँ मैं आपसे, क्या थी ख़ता मेरी,
बिन जुर्म के सज़ा मुझे, तुमने अता करी ।
हम तो हजार बार भी मर जायेंगें सनम,
अश्कों से अगर करो , मैय्यत विदा मेरी ।
हर बार हमसे बात तुम करके ख़फा हुए,
आदत में क्या शुमार है, ऐसी अदा तेरी ।
कहाँ से कोई लायेगा, दीवानापन मेरा,
बदली हुई नज़र को भी, समझे वफा तेरी ।
तू लाख मुँह को फेर ले, बेशक नज़र चुरा,
कोई तो आयेगा वो दिन, होगी रज़ा तेरी ।
1 Comments:
shandar,askho se mayyat vida karna,koi din hogi raza teri,ye sher bhaut vajandar,jandar huye hai.
http://mehhekk.wordpress.com/
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