गज़ल!
लाख कोशिश करी भुलाने की, फिर भी तेरा ख्याल आ ही गया,
तुझसे नाता नहीं है कोई, मग़र, लब पे सब के सवाल आ ही गया ।
यूँ ही तो काटने की सोची थी तेरे बिन जिंदगी की राहों को,
फिर भी न जाने क्यूँ अचानक से इसमें बवाल आ ही गया ।
हम तो तुमसे गिला नहीं करते, प्यार तो दिल की एक चाहत है,
तेरी चाहत हमें मिली न क्यों, सोच दिल को मलाल आ ही गया ।
बंद अपनी ज़ुबाँ को रखेंगें, तुमको रुसवा न होने देंगें कभी,
इस दिल का लेकिन करें क्या, चेहरे पे इसका हाल आ ही गया ।
2 Comments:
बहुत बढिया!
बंद अपनी ज़ुबाँ को रखेंगें, तुमको रुसवा न होने देंगें कभी,
इस दिल का लेकिन करें क्या, चेहरे पे इसका हाल आ ही गया ।
शुक्रिया बालीजी !
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home