"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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"कभी तो याद कर लिया करो !"खवाबों में ही बात कर लिया करो,कभी तो याद कर लिया करो !पत्थर के बुत नहीं हैं तुम्हारी तरह,चाहो तो घात कर लिया करो !दिल में वीराने ही वीराने बसे हैं,दो पल तो आबाद कर लिया करो !दुनिया में हैरानियाँ कुछ कम नहीं,किसी बहाने दिल शाद कर लिया करो !हम तो हार कर चुप बैठ गये,तुम ही कभी इज्तिहाद* कर लिया करो !*कोशिश
3 Comments:
बहुत सुन्दर गज़ल है।बधाई।
Waah ! Waah ! Waah ! Bahut sundar Gazal.
excellent work, thanks
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