आज फिर तेरा ख्याल आया है
सोते-सोते ये मुझे किसने आन जगाया है,
आज फिर तेरे तस्सवुर का ख्याल आया है!
छेड़े हैं जिसने भी इस वक्त तन्हाई के गीत,
उसे भी मेरे ग़म का ख्याल आया है!
गुल भी खिलने से मना करते हैं अब,
तेरे न होने का इन्हे भी ख्याल आया है!
थम गईं हैं हवाएं भी बहते हुए,
तेरे आँचल के न उड़ने का ख्याल आया है!
रस्ते भी बेवज़ह भटकने लगे,
तेरे न होने का शायद ख्याल आया है!
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1 Comments:
तन्हाइयों में रहते हुए फिर और किसका
ख्याल आया…।
बहुत अच्छा लगा…।
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