अश्रु भी मौन हुए!
अश्रु भी मेरे मौन हुए !
जब से तुम मेरे कौन हुए!!
कुछ कह नहीं पाया, अचेतन मन,
बस सह नहीं पाया, दर्द का बंधन,
तब से ही अश्रु मौन हुए!
जब से तुम मेरे कौन हुए!!
निद्रा अंखियों को बनी गौन,
भ्रमित जबसे हुआ स्वपनलोक,
तब से ही अश्रु मौन हुए!
जब से तुम मेरे कौन हुए!!
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