मैं भूला नहीं !
मैं भूला नहीं हूँ तुम्हारी दग़ा,
मुझसे होगी न फिर भी तुमसे ज़फा ।
तुम बहारों को अपना बनाते रहे,
हम ख़िज़ा से हमेशा रहे बावफा ।
बात करने से हमको नहीं है मना,
पहले जैसी दिल में जगह है कहाँ ।
मेरे पहलू में दिल है तुम्हारी तरह,
सोच कर कभी तुमने देखा कहाँ ।
आदतन तुमसे कर बैठे शिकवा गिला,
असर उसका तुम पर होगा कहाँ ।
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