टुकड़ा टुकड़ा दर्द!
भूल नहीं पाऊं तुझको, तेरी याद ने मुझको मार दिया !
बँट गई ज़वानी टुकड़ों में, खो गई हँसी कहीं दुखड़ों में,
फुर्सत किसको जो जान सके, दिल पड़ा है कौन से पचड़ों में,
जीते जी तूने मार दिया, ये कैसा तूने प्यार दिया !
कह नहीं सकूँ मैं मज़बूरी,तुम पास हो, फिर भी है दूरी,
तुझको नजदीक से देख सकूँ, ये आस नहीं होगी पूरी,
ये जीवन है बेकार किया, ये कैसा तूने प्यार दिया !
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