"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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चलो अच्छा हुआ
चलो अच्छा हुआ तुमसे हमारा साथ तो छूटा
वगरना सारी दुनिया को बनाया ग़ैर था मैंने
हुए थे दूर अपने से, हुए थे दूर अपनों से,
रहा करते थे गुमसुम हम सदा तेरे ही सपनो में
चलो अच्छा हुआ झूटा जो अपना ख्वाब तो टूटा
रहे थे पास जितना तुम, बने उतने ही अनजाने
कहाँ से ढूँढ कर लायें नज़र जो हमको पहचाने
चलो अच्छा हुआ इक और मेरा आसरा छूटा
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