बातें तेरी !
अब तो चांदनी भी करने लगी बातें तेरी,
यूँ बातों ही बातों में कटती हैं रातें मेरी ।
कहे चाँदनी, आई हूँ चँदा के घर से अभी,
उन्हे भी देखा है गिनते हुए तारे अभी-अभी,
तू न मायूस हो, वो भी करती है बातें तेरी ।
मैंने बोला उसे, यूँ न मुझको बना,
वो हैं मुझसे ख़फा, मैंने की थी वफा,
वो थे समझे ज़फा,
फिर क्योंकर करेंगें वो बातें मेरी ।
अच्छा चाँदनी, मुझको ये तो बता,
मेरे बारे में तुझसे वो कहती है क्या,
क्या बताऊँ तुझे, तुझको सब है पता,
फिर भी कटती नहीं क्यों रातें तेरी ।
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