सोचते थे !
सोचते थे दिल हमको दो गे,
ना मालूम था दिल रखते नहीं हो ।
बातों ही बातों में न कह दो मन की,
बात तभी हमसे करते नहीं हो ।
अर्थों के फेर में पड़ने से अर्थ बदल जाते हैं,
जीवन के हसीं पल व्यर्थ निकल जाते हैं,
इस बात का एहसास क्यों करते नहीं हो ।
किनारा मिले बीच मंझधार, कभी होता नहीं है,
निस्वार्थ प्यार करने वाला कभी मिलता नहीं है,
तभी तो प्यार का इज़हार तुम करते नहीं हो ।
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