तुम्हारा मौन!
तुम्हारा मौन
अर्थों का अथाह सागर
प्यार की गागर
हौले से मुस्करा कर
थोड़ी हलचल मचा देना
मेरे नीरस जीवन में
एक तरंग ला देना
तुम्हारे दो बोलो के लिये
व्यर्थ ही तरसता रहा
तुमने तो
अनकही भीषा का
एक संसार ही रच दिया
इसे पढ़ना-समझना
मुझे भी सिखला देना
मेरे नीरस जीवन में
एक तरंग ला देना
भीगी पलकों के भीगे शब्दों ने
भिगो दिया है मेरा अन्तस तक
अव्यक्त भावना
डूबने-उतरने लगी है
तिनके सी
तुम्हारी व्यथा के सहारे
इसे राह दिखला देना
प्रीत की नाँव में बिठला लेना
मेरे नीरस जीवन में
एक तरंग ला देना
2 Comments:
maun kii bhasha hotii hae apni
थोड़ी देर चुप रह कर भी काफी कुछ बता दिया सच कहें तो मन को भींगों दिया…मधुरता है प्रत्येक शब्द में…
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