चैन से मरने की इज़ाजत भी नहीं !
उनका इसरार है दिल टूटने पर बुरा तो मानो मत,
दर्द होने पर हमें उफ करने की इज़ाजत भी नहीं !
प्यास बुझ नहीं पाई समुन्दर के किनारे रह कर भी,
जाने क्यों खारा पानी पीने की इज़ाजत भी नहीं !
दो कतरे आँखों में आये तो वो भी छुपाने पड़ गये,
दुनिया के सामने दो आँसु बहाने की इज़ाजत भी नहीं !
उज़ाड़ ली दुनिया हमने तुम्हारी चाहत में सनम,
अब तो खँडहरों में घर बसाने की इजाजत भी नहीं !
जीते जी मर गया हो जो किसी की खातिर,
उसे तो यारो चैन से मरने की इज़ाजत भी नहीं !
3 Comments:
"जाने क्यों खारा पानी पीने की इज़ाजत भी नहीं !" वाह वाह करने पर किसी को भी मजबूर कर दे|
बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने ढेरो बधाई स्वीकारें.....
अर्श
शेखरजी एवं अर्श जी,
रचना पसन्द आने का तथा हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया !
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