हँस के थोड़ी सी जिंदगी जी लेंगें !
कहीं चिंगारी तेरे दिल में भी है,
नहीं तो यूँ धुआँ उठता ही नहीं ।
है ये उम्मीद कि जी उठेंगें हम,
वर्ना मैं तुम पे यूँ मरता ही नहीं ।
दिल की ये बात तुमसे कहनी है,
वर्ना बात तुमसे कुछ करता ही नहीं ।
अपनी तो छोटी सी कहानी है,
तुम न सुनते अपनी कहता ही नहीं ।
हँस के थोड़ी सी जिंदगी जी लेंगें,
तुम न मिलते तो मन यूँ हँसता ही नहीं ।
2 Comments:
बहुत अच्छी गजल। ये पंक्तियॉं खास लगी-
-है ये उम्मीद कि जी उठेंगें हम,
वर्ना मैं तुम पे यूँ मरता ही नहीं ।
भगतजी,
आपको गज़ल पसन्द आई, बहुत-बहुत शुक्रिया । उम्मीद भविष्य में भी आपसे प्रोत्साहन मिलता रहेगा ।
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