मैंने कविता लिखना छोड़ दिया !
मैंने दर्द से रिश्ता जोड़ लिया,
खुशियों से है मुँह मोड़ लिया,
तुमको पाने की खातिर,
दुनिया से नाता तोड़ लिया !
बाज न आयें ख्याल तेरे,
हरदम ही सतायें ख्याल तेरे,
दिल को जाने क्या है हुआ,
कोई बात समझना छोड़ दिया !
अरसा हुआ कोई बात हुए,
उनसे अपनी मुलाकात हुए,
तुमसे मिलने के ख्याल ने ही,
बेसाख्ता दिल को झंझोड़ दिया !
मैं चलता रहा उस राह पे ही,
थे जिस पे तेरे कदमों के निशां,
भटका जब भी कभी राह था मैं,
राहों ने तेरी राह पे मोड़ दिया !
जब भी मैं कुछ लिखने बैठा,
खुद कलम लिखे कविता तेरी ,
जब से तेरा नाम है दिल पे लिखा,
मैंने कविता लिखना छोड़ दिया !
1 Comments:
तुमसे मिलने के ख्याल ने ही,
बेसाख्ता दिल को झंझोड़ दिया !
"झंझोड़" शब्द बहुत प्रभावशाली लगा |
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