मुझे मिला है सब कुछ तेरे गम में हो गमगीं!
बार-बार भूल जाते हो तुम हमें,
और याद दिलाना पड़ता है कि हम हैं अभी ।
माना कि गरज मेरी है तुमसे अभी,
पर न भूलो कि दिन अपने भी आयेंगें कभी ।
चाहे कुछ भी सोच लो मेरे लिये,
सुकुँ है कि तेरे दिल में हम आये तो सही ।
यूँ तो खुशियों से दिल आबाद है होता,
मुझे मिला है सब कुछ तेरे गम में हो गमगीं ।
न दो चाहे कुछ भी है हमें मंजूर,
न छीनो हमें हमसे ही, रहम थोड़ा करो कभी ।
3 Comments:
न दो चाहे कुछ भी है हमें मंजूर,
न छीनो हमें हमसे ही, रहम थोड़ा करो कभी ।
kitni khoobsurat panktiyan hai
एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com
वीनस केसरी
बहुत खूबसूरत । धन्यवाद ।
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