बात बने !
स्पर्श को तरसती रही,
घूँघट उठाओ तो बात बने !
हवा मचलती रही,
लटों को ललचती रही,
केश फैलाओ तो बात बने !
घटाएँ गरजती रहीं ,
बिजुरिया दमकती रही,
नैन झपकाओ तो बात बने !
भावना सिसकती रही,
चूड़ियाँ खनकती रहीं,
हाथ बढ़ाओ तो बात बने !
शमा जलती रही,
परवानों से उलझती रही,
कोई राह सुझाओ तो बात बने !
भोर खिलती रही,
किरणें चमकती रहीं,
इनमें नहाओ तो बात बने !
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