जादू की छड़ी
मोतियों जैसी लड़ी, मुख में तेरे है जड़ी,
थोड़ा हँस दे जो तू, लग जाए फूलों की झड़ी !
तुझको मालूम नहीं, तुझमें बसता है क्या,
आरजू का आसमाँ, चाहत हो तेरी हर घड़ी !
मुस्करा दे ग़र ज़रा, हो जाए मौसम भी हँसीं,
लगता है तेरे होठों पर, बसती है जादू की छड़ी !
नैन हों तेरे बंद अगर, हो जाए दिन में रात सी,
ऐ खुदा मुझको बता, ये कैसी सुन्दरता गढ़ी !
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